
युवाओं को मिली स्किल ट्रेनिंग, लेकिन रोजगार की चाल सुस्त; क्या विजन-2025 से बदलेंगे हालात?
लंबे समय से उद्योगों की शिकायत रही है कि उन्हें कुशल मानव संसाधन नहीं मिल पा रहा है। इसे देखते हुए ही सत्ता में आते ही मोदी सरकार ने पहली बार अलग से कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय का गठन किया।
शिक्षा, कौशल विकास और उद्योगों में समन्वय बनाने के प्रयास करते हुए कई योजनाएं शुरू कीं। इसमें कोई संदेह नहीं कि युद्ध स्तर पर युवाओं को कुशल बनाने का अभियान प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत किया गया। इस योजना के चार चरणों में अब तक डेढ़ करोड़ से अधिक युवाओं को कौशल प्रशिक्षण दिया जा चुका है, लेकिन रोजगार की दृष्टि से देखें तो अभी तक अपेक्षित परिणाम मिलते दिखाई नहीं दिए हैं।
चुनौतियां जहां की तहां
मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट 2023-24 में चुनौतियों पर चिंता जताते हुए नए प्रयासों का दावा किया गया है। कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय के गठन को लगभग दस वर्ष हो चुके हैं। ऐसे में वर्ष 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट को देखें तो मंत्रालय के समक्ष कुछ चुनौतियां जहां की तहां खड़ी दिखाई देती हैं।
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मंत्रालय ने माना है कि यह सामान्य धारणा बनी हुई है कि कौशल उन लोगों के लिए अंतिम उपाय है, जो किसी क्षेत्र में प्रगति नहीं कर सके हैं। मूल्यांकन और प्रमाणन की कई प्रणालियां होने के कारण नियोक्ता भी भ्रम में हैं। प्रशिक्षक के रूप में उद्योग के पेशेवरों को आकर्षित करना एक चुनौती बनी हुई है। क्षेत्रीय स्तर पर कौशल आपूर्ति और मांग के बीच विसंगतियां हैं। इसके साथ ही कौशल विकास योजनाओं से संबंधित मंत्रालयों में समन्वय का अभाव भी देखा गया है।
हताश करती है स्थिति
इसे देखते हुए ही मंत्रालय ने विजन-2025 में रोजगार और उद्यमिता सृजन को सुविधाजनक बनाने के लिए रणनीति में कुछ बिंदुओं को शामिल किया है। इन दावों को उत्साहजनक इसलिए भी नहीं माना जा सकता, क्योंकि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को बार-बार कुछ बदलाव कर अब चौथा चरण लागू किया है, लेकिन रोजगार प्राप्ति की जो सूचना मंत्रालय को मिली है, वह हताश करती है।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के पहले चरण में लघु अवधि प्रशिक्षण (एसटीटी), पूर्व शिक्षा को मान्यता (आरपीएल) और स्पेशल प्रोजेक्ट के तहत कुल 1986016 अभ्यर्थियों ने प्रशिक्षण लिया। 1451636 ने प्रमाण पत्र लिए, जिनमें से 253296 को ही नौकरी मिलने का डाटा है। दूसरे चरण में कुल 11000708 ने प्रशिक्षण, 9157547 ने प्रमाण पत्र लिया, जिनमें से 2141575 को रोजगार मिलने की सूचना है।
अधिकारियों का तर्क
वहीं, तीसरे चरण में कुल 737502 प्रशिक्षणार्थियों में से 508360 को प्रमाण पत्र और 43016 को प्लेसमेंट मिला। इसी तरह कई सुधारों और दावों के साथ अब शुरू किए गए चौथे चरण में अब तक 543636 ने प्रशिक्षण लिया, जिनमें से 255902 को प्रमाण पत्र मिल चुका है और इनमें से रोजगार मात्र 2042 अभ्यर्थियों को मिला है।
हालांकि, मंत्रालय के अधिकारी तर्क देते हैं कि अव्वल तो कौशल प्रशिक्षण के बाद युवा स्वरोजगार की राह अधिक चुनते हैं। इसके अलावा जिन्हें रोजगार मिल जाता है, वह सभी इसकी सूचना नहीं देते और असंगठित क्षेत्र में इन योजनाओं के माध्यम से रोजगार पाने वालों की निगरानी का फिलहाल कोई तंत्र नहीं है।